वक़्फ़ कानून बना माफिया की गले की फांस, उड़ी नींद।

वक़्फ़ कानून बना माफिया की गले की फांस, उड़ी नींद।

●वक़्फ़ जायदादों में घालमेल कर खरीद-फरोख्त का कर रहे काम।

●मदरसों की जमीनों पर नजर, मौलानाओं का साथ लेकर रच रहे साजिश।

●मदरसों के जगहों पर नई इमारत खड़ी करने की तैयारी।

●जजर्र इमारत बता अधिकारियों को कर रहे गुमराह ।

●इनका साथ धर्म गुरु व मदरसा प्रबंध तंत्र भी दे रहा है।

●एक ओर मोदी सरकार वक्फ संपत्तियों को लेकर संजीदा है वही उनके मातहत प्रशासनिक अधिकारियों अभी ऐसे भू माफिया को लाभ पहुंचा रहे हैं।

●सरकारी सहायता प्राप्त मदरसों  की कमेटियों में अक्सर रहता है विवाद ।

●अगर एस आई टी गठित कर  सही से जांच हो जाए तो सरकार को बहुत बड़ा फॉयदा होगा ।





कानपुर:वक्फ कानून बनने के बाद वक्फ संपत्तियों की खरीद फरोख्त करने वाले माफिया की नींद उड़ गई है । वे  वक्फ कानून को लेकर प्रदर्शनों में भी सक्रिय हो गए हैं।यह माफिया मदरसों और मस्जिदों की आड़ में वक्फ संपत्तियां को खुर्द बुर्द करने का खेल कर रहे हैं ।इनका साथ धर्म गुरु व मदरसा प्रबंध तंत्र भी दे रहा है। ये माफिया अपने धन बल की आड़ में मदरसों-मस्जिदों की प्रबंध कमेटी में शामिल होते हैं। उसके बाद यहां संपत्ति का गलत इस्तेमाल करने की प्रयास में जुटजाते हैं। इनके साथ अपराधी तत्व भी शामिल रहते है। वक़्फ़ संपत्तियों को बेचने के  कई केस पहले भी हो चुके हैं। हालांकि जांच के नाम पर कुछ नहीं होता है। 
 बिल्डर के पिता ने इस विवादित जमीन पर ज़बरदस्ती लोगो से लेकर  कब्जा कर लिया था।वहां पर दुकानों व घरों को गिराकर मैरिज हॉल व मस्जिद का निर्माण कर दिया गया। यह बिल्डर जहां भी  विवादित संपत्ति होती है उस पर  कब्जा कर इमारत बनाने के साथ मस्जिद का निर्माण भी करता है ताकि कोई उसे तोड़ने की कोशिश न करें।
इसके साथ धर्म गुरुओं का गिरोह भी काम करता है। धर्म गुरुओं की आड़ में यह अपना उल्लू सीधा करता है और प्रशासनिक अधिकारी भी कोई कार्रवाई करने से कतराते हैं । बिल्डर अपने पिता के नक्शे कदम पर आगे बढ़ रहा है धर्म गुरुओं का साथ लेकर प्रापर्टी पर कब्जा कर रहा है। रूपम चौराहा स्थित होने वाली बैठको में धर्मगुरुओ को आमंत्रित करता है ताकि कोई उंगली ना उठा सके।
अगर कोई सवाल उठे भी या विरोध हो तो धर्म गुरु उसे ठंडा कर दें।  धर्मगुरु वक्फ की जगह पर कब्जा करने के लिए इस बिल्डर को कमेटी में पद दिलाने के नाम पर शामिल करते हैं। उसके बाद जर्जर इमारत की बात कहकर अधिकारियों को गुमराह किया जाता है। उनके तोड़ने का आदेश भी ले लिया जाता है। ऐसे ही एक मामला  एक मस्जिद व मदरसा का है। यहां प्रबंधन कमेटी के बीच विवाद चल रहा है कुछ धर्म गुरुओं ने इस बिल्डर को अपने साथ मिलाया और प्रबंध कमेटी के एक धड़े में शामिल कर दिया ।
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यहां से शुरू होता है खेल ।
बिल्डर ने इस मस्जिद/ मदरसे पर कब्जा करने के लिए करोड़ों रुपए इन्वेस्ट किये जाने का वादा किया  ताकि नई इमारत बन सके , दुकानें निकालकर उससे लाभ उठाया जा सके। मदरसे के नाम पर दुकानों से आने वाले फिक्स डिपाजिट को भी हड़प लिया जाए।इस मदरसे में  दुकानों में बहुत पुराने दुकानदार हैं। दुकानदारों से लाखों रुपए वसूले जाने की भी योजना बनाई गई है। जानकारी के मुताबिक यह बिल्डर इस तरह के काम पहले भी कर चुका है। दुकानदारों से पैसा लेकर मदरसे में शामिल उलमा से फिक्स डिपाजिट के नाम पर आने वाले पैसे का बंटवारा करने को कहता है । 
 एक और मोदी सरकार वक्फ संपत्तियों को लेकर संजीदा है वही उनके मातहत।
प्रशासनिक अधिकारियों अभी ऐसे भू माफिया को लाभ पहुंचा रहे हैं। माफिया चाहे कुछ भी करते रहे प्रशासन अपनी आंखें मूंदे रहता है। वक़्फ़  विभाग भी अनियमितताएं बरतता है । जिला अल्पसंख्यक अधिकारी की भी भूमिका भी संदिग्ध  रहती है ऐसे मामलों में। सूत्रों की माने तो जिस बिल्डर का ऊपर जिक्र किया गया है वह अपने पिता की मौत के बाद मदरसा मस्जिदों की कमेटी में खुद को जोड़ रहा है। मदरसों को गिराकर इमारत  बनाने के लिए कमेटियों से जर्जर इमारत की रिपोर्ट भी लगवा रहा है। धर्म गुरुओं से इसको लेकर डील भी हुई है कि जितना भी खर्चा आएगा बिल्डर करेगा बाद में जो फायदा होगा व धर्म गुरुओं व कमेटी के बीच बाटेंगे।
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सोलंकी साहब  के करीबी बिल्डर का माफिया बेटा कर रहा संचालन।

ऐसा ही माफिया रूपम चौराहा स्थित एक हाल का संचालन कर रहा है। इस बिल्डर के पिता ने रूपम चौराहा स्थित  संपत्ति पर रह रहे लोगो को जबरन कब्जा मुक्त  करके उसे बनाया है। इसमें विधायक इरफान सोलंकी के पिता का भी पूर्ण सहयोग रहा था।
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उलमा का पूरा सिंडीकेट करता साथ काम ।
मौलानाओं का पूरा सिंडिकेट  साथ काम कर रहा है। यह बिल्डर मौलानाओं के सहयोग से बेशकीमती जमीनों पर कब्जा कर रहा है। इसके लिए उनकी कब भी भारी जाती है।कहा जाता है कि कब्ज़ा कर लो वक़्फ़ की नुज़ूल और बैंक करप्ट संपत्ति पर जो कुछ होगा धर्म गुरु/मौलाना मुफ़्ती आदि अधिकारियों को सेट करने का काम करेंगे ।
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अधिकारीयों को करते गुमराह,कमेटियों में विवाद का उठाते लाभ।
सवाल यह है अगर कमेटियों में विवाद है तो अधिकारियों को ध्वस्तीकरण के आदेश कराने के लिए कौन दे रहा प्रार्थना पत्र। क्या अधिकारियों को भी गुमराह किया जा रहा है।
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विवाद के पीछे धनराशि, माफिया कमेटी में
सरकारी सहायता प्राप्त मदरसों  की कमेटियों में अक्सर रहता है विवाद कारण सिर्फ पैसा।मौलाना /मुफ़्ती आलिम खुद रख रहे है माफियाओं /क्रिमिनल्स एव उनके परिवारों को कमेटियों में।योगी सरकार के अधिकारियों की नज़र से अभी भी बच गए है ऐसे बिल्डर माफ़िया जो वक़्फ़/नुज़ूल की संपत्तियों पर नज़र रख कब्ज़ा करते है और फिर वहां एक मस्जिद एव मदरसा कायम करवा मौलानाओं का पूरा सक्रिय  गैंग शामिल कर लेते है।
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शहर में कई गेस्ट हाउस हो रहे संचालित।
बिल्डर साहब की शहर में न जाने कितनी इमारते है गेस्ट हाउस है वक़्फ़ और नुज़ूल की जगहों पर गेस्ट हाउस बना दिये है। अगर एस आई टी गठित कर  सही से जांच हो जाए तो सरकार को बहुत बड़ा फॉयदा होगा ।

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